आल्हा और उदल अपनेजीवन में 52 लडाई लड़ी थी जिसमे पृथ्वी चौहान को जीवन दान दिया था माँ शारदा को आज भी पहला फूल चढाते है आल्हा

veer alha udal story

veer alha udal story: वीर आल्हा उदल का इतिहास मध्यकालीन बुंदेलखंड से लिया गया है बुंदेलखंड के महान वीर आल्हा और उदल  बड़े वीर थे और उनकी वीरता का बखान अगर किया जाए तो कम ही पड़ेगा |आल्हा ऊदल के वीरता का गुणगान बुंदेलखंड के गीतों में देखने को मिलता है, आल्हा ऊदल अपने जीवन काल में 52 लड़ाइयां लड़ी थी

एक को मारे, दुई मर जाएं, तीसरा खौफ खाए मर जाए! 

मरे के नीचे जिंदा घुस रहे, ऊँपर लाश लिए सरकाय!

बड़े लड़ैया महोबा वाले, जिनसे हार गई तलवार!

गढ़ महोबा के आल्हा ऊदल, जिनकी मार सही न जाए!

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आल्हा, ऊदल अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए उस दौरान पृथ्वीराज चौहान से युद्ध किया था उस युद्ध में वीरगति को उदल प्राप्त हुए थे उसके बाद खबर सुनकर उदल अपना आपा खो बैठे उसके बाद पृथ्वीराज चौहान की सेना  पर मानव कहर बरपाने लगे इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को जीवनदान दिया|  ऊदल ने कई बार जीवनदान दिया था। कहा जाता है की उदल ने पृथ्वीराज चौहान को 52 बार जीवनदान दिया था |

  1. आल्हा और ऊदल भाई थे, जो दोनों ही बहुत पराक्रमी योद्धा थे। 
  2. कहा जाता है कि उन्होंने मां शारदा से पराक्रम और अमर होने का वरदान प्राप्त किया था। 
  3. आल्हा और ऊदल ने कई युद्ध लड़े, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण युद्ध पृथ्वीराज चौहान से हुआ। 
  4. पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध में, आल्हा के भाई ऊदल की मृत्यु हो गई। 
  5. ऊदल की मृत्यु के बाद, आल्हा ने पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया, लेकिन बाद में गुरु गोरखनाथ के आदेश से आल्हा ने पृथ्वीराज को जीवनदान दे दिया और संन्यास ले लिया।

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    आल्हा, उदल वीर बुन्देल खंड के वीर

आल्हा 1182 में पृथ्वीराज चौहान से लड़ाई लड़ी थी और इसे आल्हा खंड  के नाम से भी जाना जाता है जिसे बुंदेलखंड की गीतों में भी गाया  जाता है और आल्हा ऊदल की वीरता का बखान वहां के स्थानीय लोग अपनी-अपनी भाषा में और अपनी-अपने गीतों में भी करते हैं|आल्हा, ऊदल  चंद्रवंशी छतरी थे और जिनकी गाथा सुर गाथा आल्हा खंड में गई जाती है

पृथ्वीराज चौहान को 52 बार हराया था veer alha udal story

12 वीं शताब्दी के दो बनाफर नायकों आल्हा, उदल, महोबा उत्तर प्रदेश के  चक्रवर्ती सम्राट परमर्दीदेव (परमाल) (1165-1202 सीई) के लिए काम करने वाले सेनापतियों के बहादुर कृत्यों का वर्णन करने वाले कई गाथागीत शामिल हैं, आल्हा, उदल  दिल्ली के राजा पृथ्वीराज चौहान (1149-1192 ईस्वी) के खिलाफ थे।

इस ग्रंथ में यह भी लिखा गया है की आल्हा ऊदल 52 लड़ाइयां लड़ी थी जो बहुत ही रोमांचकारी थी आखिरी लड़ाई उन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ लड़ी थी और जिसमें ऊदल की मृत्यु हो गई थी उसके बाद आल्हा ने मानव पृथ्वीराज चौहान की सेवा पर बजे जैसे टूट पड़े थे

बुंदेलखंड के वीर आल्हा ऊदल

बुंदेलखंड के इतिहास में आल्हा उदल का नाम बड़े ही अदब के साथ लिया जाता है लोग आल्हा ऊदल के रूप में उनकी अपनी भाषा में गीत  गया करते हैं सावन के महीने में बुंदेलखंड के गांव गलियों में यह गीत बड़े जोरदार से गया जाता है जैसे पानी दर यहां का पानी आज यहां के पानी के सुर गाथा और यहां की बोली और लड़ाइयां आल्हा और उदल की गाथाओं को लोग खनकी बजा करके गाते हैं

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वीर आल्हा उदल की वीर गाथा

मां शारदा की पूजा थे आल्हा ऊदल

मध्य प्रदेश की सतना जिले में मैहर तहसील के पास चित्रकूट पर्वत पर स्थित मां शारदा का यह मंदिर है जहां पर उदल सुबह आते हैं और मां मैहर को पहले फूल चढ़ाते हैं ऐसा वर्णित किया जाता है और ऐसा लोग कहते भी है वहां की पुजारी जो करी लगभग 1063 सीढ़ियां चढ़ने के बाद माता का दर्शन होते हैं पूरे भारत में सतना का मैहर माता शारदा मंदिर एक अकेला ऐसा मंदिर है जहां पर उदल आते हैं और फूल चढ़ाते हैं जहां पर आल्हा आते हैं और फूल चढ़ाते हैं|https://youtu.be/DKlfC7ChMqk?list=PL4Liz2PHLR2G6GzKWXtKLip6D1MGfixZQ

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