एक देश एक चुनाव बिल को लेकर लोकसभा में हंगामा, ओवैसी ने दिया दमदार भाषण one nation one election in india

one nation one election in india:भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुधारने और इसे अधिक कुशल बनाने के उद्देश्य से समय-समय पर कई पहल की गई हैं। “एक राष्ट्र, एक चुनाव” (वन नेशन, वन इलेक्शन) का विचार इन्हीं में से एक है, जिसका उद्देश्य देशभर में एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव कराना है। यह विषय हाल के वर्षों में अत्यधिक चर्चा में रहा है। आइए इस विधेयक से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी को समझते हैं।


one nation one election in india चुनाव का अर्थ

“एक राष्ट्र, एक चुनाव” का तात्पर्य है कि लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक ही समय पर आयोजित किए जाएं। वर्तमान में, भारत में चुनाव विभिन्न समय पर होते हैं, जिससे प्रशासनिक बोझ, खर्च और अन्य चुनौतियां बढ़ जाती हैं। यह पहल इन समस्याओं को हल करने का एक प्रयास है।

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बीजेपी एक देश एक चुनाव बील लोकसभा में पारित किया

one nation one election in india इसकी पृष्ठभूमि

  • one nation one election in india स्वतंत्र भारत में 1952 से लेकर 1967 तक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाते थे।
  • 1968-69 के बाद यह परंपरा समाप्त हो गई, क्योंकि कुछ विधानसभाएं मध्यावधि चुनाव की स्थिति में पहुंच गईं। इससे लोकसभा और राज्य चुनावों का चक्र अलग हो गया।
  • इस असमानता को दूर करने के लिए पहली बार 1999 में “एक राष्ट्र, एक चुनाव” का विचार प्रस्तुत किया गया।
  • इसके बाद 2014 के बाद यह मुद्दा फिर से जोर पकड़ने लगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विचार को कई बार मंच पर उठाया।

एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक का उद्देश्य

  1. चुनावी खर्च में कमी: one nation one election in india हर साल चुनाव कराने में सरकार को भारी आर्थिक खर्च उठाना पड़ता है। एक साथ चुनाव कराने से यह खर्च काफी हद तक कम हो सकता है।
  2. प्रशासनिक बाधाओं को कम करना: चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू होती है, जिससे विकास कार्य बाधित होते हैं। एक साथ चुनाव से यह समस्या हल हो सकती है।
  3. चुनावी थकान कम करना: बार-बार चुनाव से जनता और राजनीतिक दल दोनों ही थक जाते हैं। इससे बचा जा सकता है।
  4. सुरक्षा बलों का बेहतर उपयोग: चुनावों के दौरान बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की जाती है। एक बार में चुनाव होने से उनकी जिम्मेदारी भी कम हो जाएगी।

एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक की विशेषताएं

  1. समन्वय: लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को इस तरह समायोजित करना कि वे एक साथ समाप्त हों।
  2. संवैधानिक संशोधन: इस योजना को लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 83, 85, 172, 174 और 356 में संशोधन करना होगा।
  3. चुनाव आयोग की भूमिका: चुनाव आयोग को अधिक शक्तिशाली और संसाधनयुक्त बनाना, ताकि वह इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराने में सक्षम हो सके।
  4. डिजिटल तकनीक का उपयोग: ईवीएम और वीवीपैट जैसी तकनीकों का उपयोग अधिक व्यापक रूप से करना।

एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक के लाभ

  1. वित्तीय बचत: 2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग 60,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। यदि यह योजना लागू होती है तो भारी धनराशि बचाई जा सकती है।
  2. व्यापक भागीदारी: बार-बार चुनाव से मतदाता उदासीन हो जाते हैं। एक साथ चुनाव से मतदान प्रतिशत बढ़ने की संभावना है।
  3. निरंतर विकास कार्य: बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य रुक जाते हैं। यह समस्या समाप्त हो जाएगी।
  4. राजनीतिक स्थिरता: बार-बार चुनाव से राजनीतिक दल लंबे समय तक योजनाएं बनाने में असमर्थ रहते हैं। यह विधेयक स्थिरता सुनिश्चित करेगा।one nation one election in india

विरोध के प्रमुख कारण

  1. संवैधानिक और तकनीकी जटिलताएं: देश में विभिन्न विधानसभाओं का कार्यकाल अलग-अलग होता है। इन्हें एकसाथ समायोजित करना चुनौतीपूर्ण होगा।
  2. संघवाद का सवाल: आलोचकों का कहना है कि यह विचार संघीय ढांचे के खिलाफ है और राज्यों की स्वायत्तता को कमजोर करता है।
  3. व्यवहारिक समस्याएं: इतने बड़े पैमाने पर चुनाव कराने के लिए भारी संख्या में ईवीएम और अन्य संसाधनों की आवश्यकता होगी।
  4. राजनीतिक असहमति: सभी राजनीतिक दल इस विचार पर सहमत नहीं हैं, जिससे इसे लागू करना कठिन हो सकता है।

वर्तमान स्थिति

  • भारत सरकार ने इस विषय पर विचार करने के लिए 2023 में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया।
  • अभी तक “एक राष्ट्र, एक चुनाव” विधेयक संसद में पारित नहीं हुआ है। इसे लागू करने के लिए व्यापक सहमति और संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी।

समकालीन परिप्रेक्ष्य

  • one nation one election in india इस विचार को कुछ राज्यों और राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है, जबकि कई दल इसे संघीय ढांचे के खिलाफ मानते हैं।
  • हाल के समय में इसे लागू करने की संभावना पर गंभीरता से विचार हो रहा है, लेकिन इसके लिए प्रशासनिक और संवैधानिक बाधाओं को दूर करना आवश्यक है।


“one nation one election in india” एक क्रांतिकारी विचार है जो भारत में चुनाव प्रक्रिया को अधिक कुशल और सुसंगत बनाने की क्षमता रखता है। हालांकि, इसे लागू करना कई स्तरों पर चुनौतीपूर्ण होगा। इसके लिए व्यापक राजनीतिक सहमति, प्रशासनिक तैयारी और संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता है। यदि इसे सफलतापूर्वक लागू किया जाता है, तो यह भारतीय लोकतंत्र को एक नई दिशा दे सकता है।

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