120 अहिरो की वीरता को मूवी बनाकर नाम नही दिया जातिवादी भावना सरकार और फिल्म जगत है गाना गया गया था उसमे भी वीर अहिरो का नाम नही लिया जातिवादी भारत ने नेता

one hundred twenty veer jawan

one hundred twenty veer jawan : 1962 भारत-चीन युद्ध भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह संघर्ष सीमा विवाद से शुरू होकर लद्दाख के अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश (NEFA) तक फैला। चीन ने 20 अक्टूबर 1962 को हमला किया और भारतीय सेना ने सीमित संसाधनों के बावजूद वीरता से लड़ाई लड़ी।
विशेष रूप से रेज़ांग ला की लड़ाई में 120 जवानों ने अंतिम सांस तक दुश्मन का सामना किया। इस युद्ध ने भारत को गहरा जख्म दिया लेकिन साथ ही सेना को आधुनिक बनाने और रक्षा नीतियों में बदलाव की नींव रखी। यह कहानी वीरता, बलिदान और देशभक्ति का प्रतीक है। 🇮🇳

1962 भारत-चीन युद्ध: एक ऐतिहासिक संघर्ष की पूरी कहानी

युद्ध की पृष्ठभूमि: सीमा विवाद की जड़

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद की जड़ अक्साई चिन (लद्दाख) और अरुणाचल प्रदेश (तब नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी – NEFA) थी।

  • भारत मैकमोहन रेखा (McMahon Line) को मानता था, जबकि चीन उसे अस्वीकार करता था।

  • चीन ने लद्दाख से तिब्बत तक सड़क बनानी शुरू की, जो अक्साई चिन से होकर गुजरती थी। भारत ने इसका विरोध किया।

  • 1959 में तिब्बत विद्रोह और दलाई लामा के भारत आने से चीन और नाराज हो गया।

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one hundred twenty veer jawan अक्टूबर 1962

20 अक्टूबर 1962 को चीन ने एक साथ लद्दाख (अक्साई चिन) और NEFA (अरुणाचल) में हमला बोला।
भारतीय सेना की संख्या कम थी, हथियार पुराने थे और तैयारी अधूरी। दूसरी तरफ चीन बड़ी संख्या में सैनिकों और आधुनिक हथियारों के साथ आया।


लद्दाख मोर्चा: अक्साई चिन पर कब्ज़ा

  • चीन ने लद्दाख में तेज़ी से हमला कर भारतीय पोस्टों पर कब्जा करना शुरू किया।

  • कई जगह भारतीय जवानों ने वीरतापूर्वक लड़ाई लड़ी, जिनमें सबसे यादगार था रेज़ांग ला का युद्ध (120 वीर जवान), जहाँ Major Shaitan Singh Bhati और उनकी कंपनी ने “अंतिम सांस तक” लड़ाई लड़ी।

  • आखिरकार चीन ने अक्साई चिन का लगभग 37,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।


पूर्वोत्तर मोर्चा: NEFA (अरुणाचल प्रदेश)

  • चीन ने NEFA क्षेत्र में तेज़ आक्रमण किया और तवांग पर कब्जा कर लिया।

  • भारतीय सैनिकों को पीछे हटना पड़ा और चीन ने तेज़ी से बोमडिला तक बढ़त बना ली।

  • हालाँकि, भारतीय सेना ने कई जगहों पर डटकर मुकाबला किया और भारी नुकसान उठाया।


युद्धविराम: 21 नवंबर 1962

चीन ने अचानक 21 नवंबर 1962 को युद्धविराम की घोषणा कर दी।

  • चीन ने NEFA (अरुणाचल) से अपनी सेना हटा ली, लेकिन अक्साई चिन को अपने कब्ज़े में रखा।

  • इस युद्ध में भारत के लगभग 1,383 सैनिक शहीद, 1,700 से अधिक लापता और 3,900 कैदी बने।

  • चीन की हताहत संख्या भी भारी थी, लेकिन उसने कभी आधिकारिक आंकड़े नहीं दिए।


युद्ध का असर और सबक

  • भारत को गहरा सदमा लगा और उसकी सुरक्षा नीतियों में बड़ा बदलाव आया।

  • इसके बाद भारत ने रक्षा बजट कई गुना बढ़ाया और सेना को आधुनिक बनाने की शुरुआत की।

  • यही युद्ध भविष्य में भारत के 1965 और 1971 के युद्धों की तैयारी का सबक बना।

one hundred twenty veer jawan 1962 का भारत-चीन युद्ध भारतीय इतिहास का एक दर्दनाक अध्याय है। जहाँ एक ओर देश को हार और क्षति का सामना करना पड़ा, वहीं दूसरी ओर भारतीय जवानों ने अपनी वीरता और बलिदान से यह साबित कर दिया कि वे किसी भी चुनौती से पीछे हटने वाले नहीं हैं।

रेज़ांग ला जैसी लड़ाई आज भी भारतीय सेना और देशवासियों को प्रेरित करती है कि देश सर्वोपरि है।”

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