Premanand maharaj pravachan:प्रेमानंद महाराज का प्रवचन सुनकर, उनके आध्यात्मिक ज्ञान को सुनकर लोग उनसे मंत्र मुगध हो जाते हैं उनकी बातें सुनने के लिए लोग उनके पास जाते हैं वृंदावन धाम और उनके धाम जाकर उनसे अपने मन में उत्पन्न हुए सवालों को पूछते हैं कुछ ऐसे ही व्यक्ति जो प्रशासनिक सेवा में है और उनके मन में संशय हुआ और वह प्रेमानंद महाराज के शरण गए और उनसे सवाल जवाब किया
प्रेमानंद महाराज का प्रवचन
वैसे तो आप लोग जानते ही होंगे प्रेमानंद महाराज इस समय संत समागम की बात करें तो उनकी वाणी में इतना ओजस्य है कि आप सुनने से आपका मन भरता नहीं मन कहता है कि दिनभर उनकी बातें सुनी जाए और उनके विचारों को जीवन में उतर जाए लेकिन मन है कि यह मानता ही नहीं
यह हमें कुसंगतियों की तरफ ले जाता है हमेंभटका ही देता है कितना भी हम प्रवचन महाराज का सुन ले ऐसे ही प्रेमानंद महाराज के सरणागत हुए पुलिस विभाग के तीन कर्मचारी उनके पास गए और अपनी बातें कही प्रेमानंद महाराज ने कहा कि हमारे आचरण से जो गलत आचरण किया जाता है जो गलतियां हो जाती हैं उन गलतियों को हम ना होने दे अगर यह गलतियां हो जाती है तोहमसे जुड़े हुए लोग क्या सोचेंगे वह क्या कल्पना करेंगे और यही कल्पना हमारी पीड़ा का कारण बन जाती है
ज्ञान रूपी Premanand maharaj pravachan
प्रेमानंद महाराज वैसे तो आपको मालूम होगा कि हर प्रकार के पथिक जो भगवान की शरण से विमुख हो चुके हैं जो भगवान भगवद आनंद से विमुख हो चुके हैं उन्हें सत मार्ग पर लाने का कार्य इस समय प्रेमानंद महाराज से शायद ही अच्छा कोई ज्ञान दे रहा होगा
क्योंकि प्रेमानंद महाराज एक शास्त्री भी हैं और शास्त्री आचार्य होने के कारण उनका ज्ञान बड़ा ही ओज्श्व है उनके ज्ञान की महिमा अगर हम सुनते हैं तो मन खाने से भर जाता है लेकिन उनके प्रवचन सुनने से नहीं भरता है क्योंकि उनकी बातें इतनी सुन्दर होती है कि हमें मंत्र मुग्ध कर ही देती है जैसे शहद इतना मीठा होता है कि हम उंगली से चाटते हैं वैसे ही इनकी बाते, स्वर हमारे कानों को बार-बार सुनने के लिए प्रेरित होते हैं और हम मन लगाकर सुनते भी हैं
मन लगाकर सुनना जीवन में उतरना कठिन कार्य Premanand maharaj pravachan
मन लगाकर सुनना और जीवन में उतरना दोनों ही बहुत ही अलग विमुक्त और प्रतिस्पर्धा भी है जीवन में लाने के लिएबहुत की महान करना होगा मन पर काबू पाने के लिए अंतर ध्यान की समय सीमा को बढ़ाना और तन मन को लगाना होगा जीतनी बार मन भटकेगा आप उतनी बार बिफल होंगे और गिरेंगे सब तो मन रूपी बहुरूपिये का ही खेल है यह हर पल बदलता रहता है इसपर जो काबू पा लिया वह श्री जी को पा लिया, इस लिए जप किया करो श्री जी का “हरे राधा हरे कृष्णा”
जीवन की अपार पीड़ा से मुक्ति के मार्ग को अपने ज्ञान से लोगो में प्रकाशित करने का मुख्य कार्य प्रेमानंद महाराज के द्वारा दिया जा रहा है बहुत से लोग यैसे भी आये जो अपने जीवन के अंतिम काल में भगवान् की शरण में जाना चाहते है जब यह सवाल महाराज जी से पुछा तो प्रेमंनद महाराज ने उनके जीवन के अन्धकार रुपी ज्ञान में प्रकाश भर दिया उनकी बाते उनकर मनो मन को बड़ी शांति मिलती हो.
कहा जाता है बिना गुरु ज्ञान नहीं तो यह सत्य है जो प्रेमंनद महाराज ने लोगो को बताया है अपने इस ज्ञान रुपी प्रवचन से लोगो के जीवन में भगवान के प्रति आस्था भर रहे है प्रेमंनद महराज जीवन में अपार कष्ट हो फिर भी राधारानी का सुमरण का सुमरण करना न भूले सब हर लेगी सब कष्ट मिट जायेगा .”बोलो प्रेमानंद महाराज की जय”
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